Dreams

Wednesday, August 9, 2017

मन में कोहरा, कोहराम हृदय में (c) Copyright



मन में कोहरा
कोहराम हृदय में
ना ही मन में राम बसा है
ना ही मेरे श्याम हृदय में
किंतु फिर भी पुलकित है मन
मानो
है कोई धाम हृदय में
यह शीश जो कभी झुका नहीं
नतमस्तक है,
जैसे हो कोई प्रणाम हृदय में
बस नृत्य है
दौड़ते लहु में
ना है कोई विराम हृदय में
पर साँसों की इस उथल पुथल में
स्थिर सा है कोई ग्राम हृदय में
नित्य शौर्य का उदगम मन में
नित्य भय की शाम हृदय में
एकाग्र है मन, शांत चित्त भी
फिर भी ना कोई विश्राम हृदय में
मन है बगुला, चुप चाप खड़ा है
पर है कोई संग्राम हृदय में
यह प्रेम नही तो क्या है राही
उसका ही है यह काम हृदय में
मन में जो यह कोहरा है और
जो है ये कोहराम हृदय में
मन में जो यह कोहरा है और
जो है ये कोहराम हृदय में

Monday, July 24, 2017

प्रतिमा (c) Copyright


नित्य नीति 
नियम ध्यान
और कर्मठता की
मूरत तू
सौम्यता और सौंदर्य
की प्रतिमा 
अप्सरा सी सूरत तू
हर प्रेमी की कल्पना
में तेरी ही
परछाई है
ब्रह्मचारी के मन में भी
साधना तोड़ती भावना
तूने ही जगाई है
कवि स्याही से शब्द बुने
या लहू से अपने वाक्य गढ़े
प्रेमिका के वियोग का
या फिर पंक्ति में ही अश्क चड़े
ये धधक भी उसके मन में
तूने ही जालई है
जिस लौ के पीछे
हर पतंगा भस्म हुआ है
या फिर उसकी काया ही 
मुरझाई है
वो नष्ट करती दावानल
भी तूने ही लगाई है
रूप और यौवन से अपने
तूने कई नावें डुबॉयिन हैं
ढक ले अपना रूप ओ सजनी
उसमे ही
इस दुनिया की भलाई है 
ढक ले अपना रूप ओ सजनी
उसमे ही
इस दुनिया की भलाई है 

Thursday, July 20, 2017

रास (C) Copyright



हर बार जब भी मन की घर्षण 
को सुनने का प्रयास किया है मैने
जिव्हा को अपनी पहले सूरदास किया है मैने
जब कान मेरे स्वयं के सुर को सुन ना पाते
तब कहीं अपने मन के साथ
रास किया है मैने
और फिर जाकर मन को अपने
अपना ही दास किया है मैने

Tuesday, May 23, 2017

गर तलाश तेरी जारी है (c) Copyright



“काश” की नहीं ज़रूरत तुझे
गर तलाश तेरी जारी है
“शब्बाश” की नहीं ज़रूरत तुझे
गर हर मशक्कत में तेरे
खुद्दारी है

हर जंग जो लड़ेगा तू, छोटी है
हर खून की बूँद में 
तेरे गर पसीने की तय्यरी है
हर बरछी हर भाला हल्का है 
गर ढाल तेरी भारी है
“काश” की नहीं ज़रूरत तुझे
गर तलाश तेरी जारी है

गिरे तू तो सम्भल जाएगा
हर मुक़ाम पे खुद को
सीना ताने खड़ा पाएगा
हार की मार, वक़्त की धार
से घबराना छोड़ दे
क़ामयाबी ने जो तेरी 
नज़र उतार है
“”काश” की नहीं ज़रूरत तुझे
गर तलाश तेरी जारी है

Monday, February 20, 2017

है ! Copyright (c)



हर धोखे के पीछे भरोसा है
किस्मत वालों ने ही किस्मत को कोसा है
बेस्वाद तो हम बना देते हैं 
ज़िंदगी ने तो सबके लिए ज़ायका परोसा है

जिसके पास गाड़ी नहीं
पैर हैं
जिसके पास पैर नहीं
कल्पना के पंख हैं
जिसके पास पंख नहीं
उसके पास आवाज़ है
जिसके पास आवाज़ नहीं
उसके पास हौंस्लों के शंख हैं

जिसके पास नज़र नहीं
नज़रिया है
जिसके पास नज़रिया नहीं
किताबें हैं, स्याही है
पन्ने हैं, ख धीया है
जिसके पास खड़िया नहीं
हाथ मे उसके तलवार है
जिसके पास तलवार नहीं
ज़ुबान की तेज़ी है, धार है

जिसका पास जंग नहीं
खुद से ही लड़ाई है
जिसके पास लड़ाई नहीं
पढ़ाई है
जिसके पास पढ़ाई नहीं
कढ़ाई है
रसोई है, स्वाद है
दुनिया को भोजन करवाने का गौरव है
भूख  और भरे पेट के बीच संवाद है

बस अपने उपहारों को 
देखने भर की बात है
नहीं तो उजालों मे भी
रात है
वरना 
देखो तो
मातम में भी बारात है
मातम में भी बारात है
मातम में भी बारात है