Dreams

Thursday, November 27, 2008

जागो! Copyright ©





जागो!

क्यों हैं हम अभी भी इतने बेबस
क्यों हैं हम अभी भी इतने लाचार
क्यों हैं अभी भी सबकी आत्मा मरी
क्यों है अभी भी इतनी लाशें बिखरी
क्यों है भारत सोया
क्यों किसी का अब तक खून नहीं खौला
क्यों?

गाँधीजी के शब्दों को इतना मानोगे?
आतंक के झांपढ़ हर गाल पे खाओगे?
क्या जब खून बहेगा तब जागॉगे?
क्या जब मानव माँस बिकेगा तब भानपोगे?

हर गली में जब श्मशान बनेगा
हर मोहल्ला जब आग लगेगी
हर शहर जब हाहाकार मचेगी
हर दिल में जब दानव बसेगा
आतंक का मजमा जब बैठेगा
कलाशनिकोव से जब होंगे करतब
मौत का कुआँ मूह खोलेगा?
गन्ने के रस की धार के बदले
जब लहू के कुल्हड़ बिकेंगे?
तब?

दो दिन का शोक,
उन्नीकृष्णन की समाधी पे धोक
फिर चुनाव की होढ़
कौन सा सूरत कौन सी दिल्ली
चुनाव चिन्ह साइकल,हाथ,कम्ल और बिल्ली
कौन सी मुंबई कौन सा ताज
श्रीलंका की हार पे खुश हैं आज
प्रेमियों को बाँधी राखी
गोली चलाई मारी लाठी
फिर आए बाय्ल साहब
ऑस्कर लाए,जीते मैं ओर आप

अब
इटली बाला के वादे
बोतल, प्याले , पववे और आधे
कम्ल की खुश्बू , हाथ का साथ
बस सब समाप्त
आयकर विभाग का मौसमआया
कितना खर्चा, कितना कमाया...
यहीं तक है सोच
सब जानते हैं, शोक मानते हैं
फिर घर जाके चाय पकोडे खाते हैं
जिनके मारे वो भी सिसकियाँ भरके बैठ जाते हैं
हिंदू ने मारा , मुसलमान ने पकाया,ईसाई ने लगाई थाली
दावत सबने तबीयत से चाति

अब नहीं , अब नहीं और नहीं
जागो
कुछ करो कुछ करो ,
खुद पे ना गोली दागो
हाथ बस तुम्हारी क़ब्र पे कम्ल चढ़ाएगा
तुम्हारी चीता पे बस आग तापेगा
तुम जागो, तुम बढ़ो
इनके लिए अपने प्राण ना त्यागो
तुम दौड़ो तुम भागो
अपनी मा को खुध बचाओ

जागो!

No comments: