Dreams

Friday, July 23, 2010

मसक बाजा Copyright © (गढ़वाली)


भेजी क्या हवे गी तुम सने

तुमन सब छोड़ेले

धुन जु ह्वेन्दी छयी कानो मा

वीं सने भूल गेन

तेज़-तेज़ ज़माना मा

तुमन मसक बाजा सने

भूलै दे


याद कोरा वे बाजा सन

जैकि धुन मा सब झुम्दा छाँ

जैकु सुरिलू स्वर दिल मा

घुम्दा छाँ

जैकि हर ब्यो मा खल्दे छैन कमी

जैकि धुन लौंदी छैन बीती यांदें

जैकि वजह से औंदी छैन आँखों मा नमी


मसक बाजा सने भूल गैन हम

जू जू छौ हमारु

वे सने ख्वेदी हमन

गढ़वालकु नाम जू छौ

देवभूमि

वे मा दानव बसै देन हमन

सारी सुन्दरता सनेई

मिटै दे हमन

चमक्दु गढ़वाल

वे मसक बाजा कि ताल

भैरो सब लग्दुच कमाल

पर घौरा मनखी

पे उठ्दु च सवाल


भैजी

अवा बदलदन छान

सब्बी की सोच

अवा भैजी

बजोंदन नयी सोचा कु

ढोल

अवा भैजी खोल्दन

नया दरवाज़ा

अवा भैजी

बजौंदन फिर से

उ मसक बाजा

गढ़वालकु

मसक बाजा

मसक बाजा

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