Dreams

Wednesday, September 8, 2010

चल पड़े थे Copyright ©.


खूबसूरत इस ज़िन्दगी को देख कर
हम भी चल पड़े
मालूम न था
मेरे जैसे कई और थे
जो इस आग में थे जल पड़े


सौम्य चादर बिछी थी
सजी हुई थी सेज भी
मालूम न था
उस मासूम चादर में थे कई सल पड़े


मुश्किलों के सागर में
उतार दी नाव हमने
झोंक दिया अग्नि में
मालूम न था
सब मुश्किलों के थे
अपनी झोली में हल पड़े


टूटे थे , जुड़े थे
गिरे थे , संभले थे
पर हम
चल पड़े थे
चल पड़े थे
चल पड़े थे !!

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