Dreams

Monday, July 25, 2011

छटम तत्व Copyright ©


पंच तत्व से बनी यह काया
पंच तत्व में मैं समाया
भू, अपो, तेजो,वायू ,और आकस
पर एक और तत्व की मुझे तलास
एक भिन्न स्पंदन की अनुभूति
हर पल, हर क्षण मुझे है होती
मस्तिष्क मंथन , आत्म मंथन
बुद्धि का उपयोग , एक अनूठा स्पंदन
भीतर की गुर्राहट, सन्नाटे की सरसराहट
एक ऊर्जा, एक ध्वनि
एक स्वाद, एक स्पर्श, एक हर्ष
क्या? छटा तत्व?
एक अकलंकित सत्व.



वो सत्व जो जीवन है शायद
वो सत्व जो समाया है भूमंडल में
जो आकाश में रहके रहता अदृश्या
वो जो भूत में है और बनाता भविष्या
वर्तमान की काया रचता जो
मेरी काया गढ़ता जो
कम्ल के पत्तों सा स्वच्छ
जिसपे शबनम की बूँद लेटी हो विलासी
जिसे फ़िक्र भी ना हो ज़रा सी
वो तत्व जो जीवट है
वो सत्व जो अप्रकट है
जिसकी अनुभूति की है बस जाती
जैसे निर्मल दिया की जलती बाति
आत्मां से अलग
परमात्मा से परे
जिससे यह मानव है डरे
वो तत्व क्या है
इस खोज में निकला मैं
कहाँ तक, कब तक नही ग्यात
अभी तो है केवल शुरुआत



शब्द जिसका वर्णन का कर पायें
श्लोक जिसका गणनन ना कर पायें
सुगंधें जिसे रोक ना पायें
उजाले जिसको ना कर पायें उजागर
ना समा पाए यह नीला सागर
आकाश जिसे ना ऊढा पाए नीली चादर
राग जिसे गा ना पायें
फव्वारे जिसे भिगो ना पायें
दरिया जिसे डुबो ना पायें
क्या, कौनसा तत्व
कौनसा यह सत्व



वो छटवाँ तत्व है विश्वास
पंच तत्वों के मिश्रण का आभास
अद्रिश्य, आलोकिक,अनुपम विश्वास
आत्मा और परमाता का मिलन
सारे तत्वों का मिश्रण, उनका सहवास
बस यह ही जीवन , यह ही ऊर्जा, यह शी शक्ति , यह ही शिव
बस विश्वास,
विश्वास ही है जिसे सब हैं ढूँढते
ना ईश, थे मोक्ष ना और कोई एहसास
केवल विश्वास
बस विश्वास
केवल विश्वास

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