Dreams

Tuesday, October 25, 2011

शुभ दीपावली Copyright ©


आज जलाना रावण को है
राम चन्द्र बन जाना है
द्वेष, घ्रिना और कालिख को मन से
राख में मिलाना है
सारी कालिख धो देनी है
सारा पाप मिटाना है
मन की लंका के कोने कोने में
आज राम राज्य बसाना है


अहंकार को आज देनी है आहुति
आलस्य को आज भस्म कर जाना है
मन मंदिर में दीप जगमगा उठे
ऐसा अनुपम आज बनाना है
सारे कौतुहल , सारी चिंता, सारे कीट पतंगों को ,मन के
आज स्वाहा कर जाना है
जो लंकेश बसा है मन में
उसे आज राम बनाना है


आकाश में टिमटिमाने से पहले
मन में आज टिमटिमाना है
बहार प्रसाद बांटने से पहले
आज भीतर भोग लगाना है
मन के दीपक की उष्ण गर्मी से
आज पूरा संसार सजाना है
राम राज्य का बसेरा करना
आज अयोध्या मन में ही बसाना है


सारे जग के विष को आज
नीलकंठ सा गले में समां जाना है
भेद भाव को भूल भूल के
मानुष को गले लगाना है
आज कामना यह ही केवल
मिट जाएँ, काम, क्रोध , मोह ,लोभ की भावनाएं
आज "जगे" हुए अनुपम की ओर से,
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली की शुभकामनाएं.

No comments: