Dreams

Friday, June 8, 2012

बेचैनी Copyright©



जब धरती सूखी हो तो बादल उसकी बेचैनी अपने आप समझता है
जब प्यासा मृग भटकता है तो पानी उसकी बेचैने अपने आप समझता है
मैने भी सोचा था की मेरे मन की बेचैनी तुम समझोगी अपने आप ही
मगर एक तड़पते दिल की बेचैनी , बस एक तड़पटा दिल ही समझता है

तुमसे दूर रहने की कसम को निभाने का हमे कोई गर्व नही
तिल तिल तड़पते रहने और आँसू बहाने का हमे कोई गर्व नही
तुम दूर होती हो तो मैं ईश से दूर होता हूँ
तुम्हे याद करने से ऊपर हमारे लिए और कोई पर्व नही

जब मिलोगी, कुछ कहना मत, बस सीने से लगा लेना
जब मिलोगी तो इस सूखी धरती को प्रेम वर्षा मे भिगा देना
मैं ऐसे ना जी पाता हूँ, ना मर पता हूँ
गले ना लगा पाओ, ना भिगो पाओ तो बस ज़हर पिला देना

जुदा रहने में इश्क़ की खुश्बू और तेज़ हो जाती है, कहते हैं
जुदा रहने में एक दूजे के लिए इज़्ज़त बढ़ जाती है, कहते हैं
हमे ना खुश्बू से प्यार है, ना इज़्ज़त का लालच
जुदा रहके प्रेम अमर होता है, प्रेमी मार जाते हैं, कहते हैं

तुम्हारे सीने की गरमी, तुम्हारे बालों की खुश्बू, तुम्हारी अदा का कायल
तुम्हारे काजल का रंग,तुम्हारे बोलने का ढंग,तुम्हारे पैरों की पायल
मुझे आशिक से शायर बना रही हैं, शायर जो कल्पना करता है
शायरी ले को, कल्पना ले लो, पर सीने से लगा लो, मेरा दिल है इतना घायल

अब कब आना होगा, कब मिलॉगी मुझे बता देना
मैं फिर कब जी पाऊंगा , मुझे बता देना
मेरा हृदय रोता है, मेरी आत्मा मुरझा रही
मेरे आंसू मोती कब बनेंगे तुम्हारे लिए, बता देना

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