Dreams

Thursday, May 9, 2013

जोश का कोष ! Copyright©


अंधकार ही अंधकार हर ओर
सूर्य ने भी रखा है मूह मोड़
ब्रह्मांड के सारे सितारों ने भी
सपनों में आना दिया है छोड़
सन्नाटा सुनाई देता था कभी
अब सन्नाटा भी खामोश है
उम्मीद की गरमाहट में भी
बर्फ़ीली ठंड का रोष है
समय भी ऐसे चल रहा जैसे
उसकी चाल ही बेहोश है
काल चुपके से कहता है मुझे
तेरी किस्मत का दोष है
तेरी किस्मत का दोष है

इस सब के बाद भी ना जाने हृदय में
यह कैसा जोश है
ना जाने कैसे उर्जा का एक छुपा छोटा सा
एक कोष है

उस कोष के हलके से स्पंदन से
उर्जा भर आई, सूर्य को पुकारा मैने
कहा
क्यूँ मूह मोड़ के बैठा है
समय को आवाज़ दी
क्यूँ अकड़ से ऐंठा है
सन्नाटे पर चीखा और
उत्तर माँगा
क्यूँ चुप्पी साधे , उत्तर नही देता है?
कोलाहल था कभी जीवन में
आज मेरे प्रतिद्वंदियों ने ही मूह मोड़ लिया
चिंगारी है मन में पर सूखी डंडीयों
ने ही मूह मोड़ लिया

फिर सूर्य पलटा बोला
मैं चमक देता हूँ क्यूंकी मैं जलता हूँ
तुझे जलना सिखाना था
तेरे अंदर के स्पंदन को थोड़ा और जगाना था
चमकते सितारों ने कहा,
आँखें बंद करके सपने देख रहा था
तुझे जगाना था
खुली आँखों से सपनो को दिखवाना था
समय बोल उठा
तुझे समय से नही, तुझसे समय चलाना था
सन्नाटो ने आवाज़ लगाई
"तुझे ध्वनि बनाना था"

मैं जाग रहा हूँ अब
सपने देख रहा
सपनो की गर्जन से
सूर्य तेज चहु ओर फेंक रहा
तू भी जाग
उठ खड़ा हो, भाग
उस कोष से रच तू नया राग
समय , काल, सूर्य, सपने, सन्नाटे
सब आधीन हो जाएँगे
तूने चाहा तो यह सब तेरे
इशारे पे नाचेंगे
घबराने की जुर्रत मत कर
घबराना मृतकों का काम है
जब तक जोश एक कण भी बाकी है हृदय में
तेरा परचम, तेरी ही धाक है

तो पहचान उस कोष को
फिर विवेक से इस्तेमाल कर
अंधकारों पे डाल रौशनी
सूर्य को निढाल कर
समय पे लगाम लगा
सपनो से हक़ीकत को मालामाल कर
किस्मत को दोष ना दे
जोश के कोष से कमाल कर
जोश के कोष से कमाल कर
जोश के कोष से कमाल कर

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