Dreams

Tuesday, January 21, 2014

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जो कहते हैं कि गरजने वाले बरसते नहीं
शायद उन्होने, हम जैसे मेघ नहीं देखे
जो पूर्वाई के झोंकों में झूला झूलते हैं
शायद उन्होने हम जैसे तूफ़ानों के वेग नहीं देखे

जो लूली टाँगों की घिसट को मदमस्त चाल बतायें
शायद उन्होने गज के शाही टेक नहीं देखे
जो राष्ट्र को राज्यों में बाँटने में लगे हुए हैं
शायद उन्होने चार्करवर्ती सम्राटों के राज्याभिषेक नहीं देखे

जो चमकीली भंगिमाओं में प्रसन्न रहते
शायद उन्होने सौ सूर्यों के तेज नहीं देखे
जो गोरे काले, रंग भेद से रंगते सबको
शायद उन्होने, इंद्रधनुषी दैविक रंग्रेज़ नहीं देखे

जो हरदम हर में , बुरा ही देखें
शायद उन्होने प्रकृति के छोटे छोटे संदेश नहीं देखे
जो हर दम अपनी मनवाने को आतुर हों
शायद उन्होने यमराज के आदेश नहीं देखे

जो कहते हैं कि गरजने वाले बरसते नहीं
शायद उन्होने, हम जैसे मेघ नहीं देखे
जो पूर्वाई के झोंकों में झूला झूलते हैं
शायद उन्होने हम जैसे तूफ़ानों के वेग नहीं देखे

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